Article by Vijender Sir.....
अगर आप नौकरी की तलाश में है या किसी सपने के लिए घर छोड़े हुए है तो आप को यह जरूर पढना चाहिए क्योकि इसको पढने के बाद आप को एक नई ऊर्जा मिलेगी और एक सही सन्देश !
सिर्फ दो टाइप के बेरोजगार होते हे ,एक वे बेरोजगार जो एक जमाना पहले अच्छी कोचिंग और माहोल के लिए बड़े शहरो में आये थे मगर अभी बीच मँझदार में है ,,दुसरे वे जो कोल्लेज में पढ़ रहे हे ,,और कुछ वक्त बाद पहले वाले के पास जाना चाहते हे ,,,,और सोचते रहते हे की ,,, में भी किसी अच्छी जगह ,किसी अच्छे संस्थान में तैयारी करूंगा ,,,
उपर जो पढ़ा ये दुसरे वाला बेरोजगार हे जो अभी कोल्लेज के मित्रो संग ये सब बाते कर रहा हे ! लेकिन जब यह बाते खत्म होती हे ,और घर से बैग भर तैयारी के लिए ट्रेन में बैठने की बारी आती हे ,,,तब कई समस्याएं आती है ,,,और वो ये की कहा जाऊ,दिल्ली ,इलाहाबाद ,जयपुर या इंदौर या कही और ,,,,,,,,,,क्योकि जाना हर कोई दिल्ली चाहता हे पर एक जिसे पैसा कहते है यह उतना नही होता जितना दिल्ली के तंग कमरों ,दलालों ,और महंगे व्यवसायिक गुरुओ को दिया जा सके ! इसलिए कुछ तो छोटे शहर तक रह जाते हे कुछ जोड़ तोड़ कर दिल्ली पहुचते हे ,,,और दुसरे वाला बेरोजगार जो अभी दिल्ली में हे , उससे संपर्क साधते हे ,,,,की कौन सी ज्वाइन करू ,,कौन सी best हे आदि ! और सीनियर बेरोजगार से जवाब मिलता हे देखो डेमो ले लो ,,,,अब पहले वाला डेमो लेता हे पर यंहा भी पैसा बड़ी भूमिका निभाता हे ! ,,,,,इन सब के बावजूद जब डेमो मांग खुश हो लेता हे तो उसे लगता हे जैसे सपना तो यंही से पूरा होगा ,,,और दिल्ली का सिम खरीद घर फ़ोन करता हे ,,,,,,मेने कमरा ले लिया ,,,,कोचिंग भी अच्छी देख ली ..... और इसके बाद थोडा नर्वस हो कर ,,,फीस और खर्चा बताता है .....और फिर थोड़े प्यार से भावुक होकर कहता हे वो मेने 5000 कम करा दिए हे ,,,वो एक भैया (सीनियर बेरोजगार ) मेरे पहचान के ,,,,...अब वो पिता जी जो 5000 रूपये पुरे महीने में खर्च नही करते बड़े खुश होते उन्हें लगता हे उनका लाल बहुत होशियार हे ,,और ख़ुशी ख़ुशी बाकि पैसे ,,उधार ,कर्ज या कई दिनों से जमा किये खून पसीने से कमाए ,,, वो उसके खाते में डालते हे !
ये सब दुसरे बेरोजगार की समस्या हे पहला बेरोजगार जो अब परिपक्व हो चूका हे ,,जिसकी बेरोजगारी भी जवानी से बुडापे की तरफ बडने लगी हे ,,,इसकी समस्या सच में बहुत भयानक होती हे क्योकि इसके जीवन में अब संघर्ष से हताशापूर्ण हालात बनने लगे हे ,,ये जो पहले सिर्फ आईएएस की बात करता था अब ,,,,छोटी मोटी नौकरियों में चोरी छुपे फॉर्म भरता हे ,,लेकिन यंहा पेपर लिक और रट्टा मरने वाले की वजह से यह सिलेक्ट नही हो पाता ,,,,जब दिल्ली आया तो मुखर्जीनगर में रहता था ,,,,अब यह सस्ते कमरे खोजता फिरता हे ,,,अब इसे पार्ट टाइम जॉब चाहिए ,,,क्योकि घर वालो ने हाथ खड़े कर दिए हे ,,,,,अब ये पढाई से ज्यादा रोज इस टेंसन में जीता हे की में दिल्ली से जाने के बाद ,,,घर जा के क्या करूंगा ,,,और फिर अपने बंद कमरे में कुछ पल रो लेता हे ,,अकेला अकेला ! ,,,,फिर सोचता हे केसे इस बेरोजगारी के मंजर से पार निकलू ,,,,मेरी पूरी जवानी इसमे बर्बाद हो चुकी हे ,,,,,और मेरे वो विरोधी जो मेरे असफल होकर घर लोटने पर ताने मरने के इंतजार में हे ,,,क्या उन्हें रोक पाउँगा ? और इन सब से डर फिर नजरे उठाता हे और दीवारों पर लगे होर्डिंग पर इण्डिया टोपर की फोटो देख ,,, दोनों होठो को मुह में भिच कर गर्दन हिलाता ,,,और फिर अपने आपको संभालता है ।,,
दिल्ली में आने की कहानी सबकी एक जैसी होती हे यह हजारो की भीड़ जो दिख रही हे यह बदलती रहती हे ,, पर बहुत कम सूरते इन होर्डिंगो, प्रतियोगिता दर्पण ,क्रोनिकल तक पहुच पाती हे ,,,,और वो इन्सान जो असफल ,,,,,और अधूरे सपनों के साथं अपना सब कुछ दिल्ली को देकर ,,,घर जाने के लिए बैग पेक करता हे ,, तब बड़ा सहम किताब को रुक रुक ,,,देखता हे ,जैसे उसकी आँखे उन किताबो में आज उसका अतीत तलास रही हो ,,,और प्रश्न पूछ कर रही हे ,, क्या इसी लिए दिल्ली आया था ,,! क्या मेरी कहानी यह हे की मै असफल ,हारा हुवा इन्सान हु ,,,,,,हे भगवान तुझे मेरे ऊपर रहम क्यों नही आता ? और आखरी में भगवान हे ही नही ? सिर्फ ढोंग हे ?
( ये सब होता हे जीवन में ,,,,बस जिन्हें इनका पता होता हे वो अपने आप को बचा लेता ,,,क्योकि वो जान जाता हे ,,,की दिल्ली से जाते वक्त सफलता साथ नही होगी तो निराशा और हताशा के साथ दिल्ली छोड़ने की कहानी बहुत अलग ,,,और बहुत खतरनाक होगी ,,,क्योकि असफल हुए आदमी के ज्ञान को कोई नही पूछता ? जबकि वो भी ज्ञानी होता हे ) इसलिए या तो ऐसी रणनीति बनाओ के IAS बन जाओ या फिर साथ में विक्लप ऐसा रखो के वापिस ना जाना पड़े ।
( आप इसे शेयर कर सकते हे ,,,और मुझे आपके सफल होने की ख़ुशी होगी ,,मेरी शुभकामनाये आपके साथ हैं। )
धन्यवाद
अगर आप नौकरी की तलाश में है या किसी सपने के लिए घर छोड़े हुए है तो आप को यह जरूर पढना चाहिए क्योकि इसको पढने के बाद आप को एक नई ऊर्जा मिलेगी और एक सही सन्देश !
सिर्फ दो टाइप के बेरोजगार होते हे ,एक वे बेरोजगार जो एक जमाना पहले अच्छी कोचिंग और माहोल के लिए बड़े शहरो में आये थे मगर अभी बीच मँझदार में है ,,दुसरे वे जो कोल्लेज में पढ़ रहे हे ,,और कुछ वक्त बाद पहले वाले के पास जाना चाहते हे ,,,,और सोचते रहते हे की ,,, में भी किसी अच्छी जगह ,किसी अच्छे संस्थान में तैयारी करूंगा ,,,
उपर जो पढ़ा ये दुसरे वाला बेरोजगार हे जो अभी कोल्लेज के मित्रो संग ये सब बाते कर रहा हे ! लेकिन जब यह बाते खत्म होती हे ,और घर से बैग भर तैयारी के लिए ट्रेन में बैठने की बारी आती हे ,,,तब कई समस्याएं आती है ,,,और वो ये की कहा जाऊ,दिल्ली ,इलाहाबाद ,जयपुर या इंदौर या कही और ,,,,,,,,,,क्योकि जाना हर कोई दिल्ली चाहता हे पर एक जिसे पैसा कहते है यह उतना नही होता जितना दिल्ली के तंग कमरों ,दलालों ,और महंगे व्यवसायिक गुरुओ को दिया जा सके ! इसलिए कुछ तो छोटे शहर तक रह जाते हे कुछ जोड़ तोड़ कर दिल्ली पहुचते हे ,,,और दुसरे वाला बेरोजगार जो अभी दिल्ली में हे , उससे संपर्क साधते हे ,,,,की कौन सी ज्वाइन करू ,,कौन सी best हे आदि ! और सीनियर बेरोजगार से जवाब मिलता हे देखो डेमो ले लो ,,,,अब पहले वाला डेमो लेता हे पर यंहा भी पैसा बड़ी भूमिका निभाता हे ! ,,,,,इन सब के बावजूद जब डेमो मांग खुश हो लेता हे तो उसे लगता हे जैसे सपना तो यंही से पूरा होगा ,,,और दिल्ली का सिम खरीद घर फ़ोन करता हे ,,,,,,मेने कमरा ले लिया ,,,,कोचिंग भी अच्छी देख ली ..... और इसके बाद थोडा नर्वस हो कर ,,,फीस और खर्चा बताता है .....और फिर थोड़े प्यार से भावुक होकर कहता हे वो मेने 5000 कम करा दिए हे ,,,वो एक भैया (सीनियर बेरोजगार ) मेरे पहचान के ,,,,...अब वो पिता जी जो 5000 रूपये पुरे महीने में खर्च नही करते बड़े खुश होते उन्हें लगता हे उनका लाल बहुत होशियार हे ,,और ख़ुशी ख़ुशी बाकि पैसे ,,उधार ,कर्ज या कई दिनों से जमा किये खून पसीने से कमाए ,,, वो उसके खाते में डालते हे !
ये सब दुसरे बेरोजगार की समस्या हे पहला बेरोजगार जो अब परिपक्व हो चूका हे ,,जिसकी बेरोजगारी भी जवानी से बुडापे की तरफ बडने लगी हे ,,,इसकी समस्या सच में बहुत भयानक होती हे क्योकि इसके जीवन में अब संघर्ष से हताशापूर्ण हालात बनने लगे हे ,,ये जो पहले सिर्फ आईएएस की बात करता था अब ,,,,छोटी मोटी नौकरियों में चोरी छुपे फॉर्म भरता हे ,,लेकिन यंहा पेपर लिक और रट्टा मरने वाले की वजह से यह सिलेक्ट नही हो पाता ,,,,जब दिल्ली आया तो मुखर्जीनगर में रहता था ,,,,अब यह सस्ते कमरे खोजता फिरता हे ,,,अब इसे पार्ट टाइम जॉब चाहिए ,,,क्योकि घर वालो ने हाथ खड़े कर दिए हे ,,,,,अब ये पढाई से ज्यादा रोज इस टेंसन में जीता हे की में दिल्ली से जाने के बाद ,,,घर जा के क्या करूंगा ,,,और फिर अपने बंद कमरे में कुछ पल रो लेता हे ,,अकेला अकेला ! ,,,,फिर सोचता हे केसे इस बेरोजगारी के मंजर से पार निकलू ,,,,मेरी पूरी जवानी इसमे बर्बाद हो चुकी हे ,,,,,और मेरे वो विरोधी जो मेरे असफल होकर घर लोटने पर ताने मरने के इंतजार में हे ,,,क्या उन्हें रोक पाउँगा ? और इन सब से डर फिर नजरे उठाता हे और दीवारों पर लगे होर्डिंग पर इण्डिया टोपर की फोटो देख ,,, दोनों होठो को मुह में भिच कर गर्दन हिलाता ,,,और फिर अपने आपको संभालता है ।,,
दिल्ली में आने की कहानी सबकी एक जैसी होती हे यह हजारो की भीड़ जो दिख रही हे यह बदलती रहती हे ,, पर बहुत कम सूरते इन होर्डिंगो, प्रतियोगिता दर्पण ,क्रोनिकल तक पहुच पाती हे ,,,,और वो इन्सान जो असफल ,,,,,और अधूरे सपनों के साथं अपना सब कुछ दिल्ली को देकर ,,,घर जाने के लिए बैग पेक करता हे ,, तब बड़ा सहम किताब को रुक रुक ,,,देखता हे ,जैसे उसकी आँखे उन किताबो में आज उसका अतीत तलास रही हो ,,,और प्रश्न पूछ कर रही हे ,, क्या इसी लिए दिल्ली आया था ,,! क्या मेरी कहानी यह हे की मै असफल ,हारा हुवा इन्सान हु ,,,,,,हे भगवान तुझे मेरे ऊपर रहम क्यों नही आता ? और आखरी में भगवान हे ही नही ? सिर्फ ढोंग हे ?
( ये सब होता हे जीवन में ,,,,बस जिन्हें इनका पता होता हे वो अपने आप को बचा लेता ,,,क्योकि वो जान जाता हे ,,,की दिल्ली से जाते वक्त सफलता साथ नही होगी तो निराशा और हताशा के साथ दिल्ली छोड़ने की कहानी बहुत अलग ,,,और बहुत खतरनाक होगी ,,,क्योकि असफल हुए आदमी के ज्ञान को कोई नही पूछता ? जबकि वो भी ज्ञानी होता हे ) इसलिए या तो ऐसी रणनीति बनाओ के IAS बन जाओ या फिर साथ में विक्लप ऐसा रखो के वापिस ना जाना पड़े ।
( आप इसे शेयर कर सकते हे ,,,और मुझे आपके सफल होने की ख़ुशी होगी ,,मेरी शुभकामनाये आपके साथ हैं। )
धन्यवाद
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